भोपाल
लघुकथा शोध केंद्र समिति भोपाल के पुस्तक पखवाड़े -2024 का तृतीय सत्र

भोपाल | साहित्य में विधा से अधिक विषय वस्तु का निर्वहन ज़रूरी है ,रचनाकार को जैसी ज़रूरत है वैसे विषय का चयन करे | लघुकथा लेखन से उपन्यास लेखन तक का सफ़र किसी लेखक की महत्वपूर्ण यात्रा है । यह उद्ग़ार हैं वरिष्ठ साहित्यकार और समालोचक डॉ .अशोक भाटिया के जो लघुकथा शोध केंद्र समिति द्वारा आयोजित पुस्तक पखवाड़े के तृतीय सत्र में सुपरिचित रचनाकार डॉ.उपमा शर्मा के ‘कैक्टस व अन्य लघुकथाएँ ‘( लघुकथा संग्रह) एवम् ‘अनहद’ (उपन्यास) पर आयोजित ऑन-लाइन गोष्ठी में बोल रहे थे |
इन कृतियों पर चर्चा करते हुए सर्वप्रथम उपन्यास ‘अनहद’ के बारे में युवा रचनाकार डॉ.शबनम सुल्ताना ने अपनी बात रखते हुए कहा कि -‘ उपन्यास में सुख है दुःख है मिलन का आनंद है विरह की वेदना है | अनहद यानी सीमा से परे प्रेम की अनुभूति बिना शर्त , पाठक को अंत तक बांधे रहने वाला शिल्प उपन्यास को पठनीय बनाता है |’
वहीं दूसरे लघुकथा संग्रह पर चर्चा करते हुए समीक्षक डॉ. वर्षा ढोबले ने कहा की -‘ यह लघुकथाएँ नारी मन की अनुभूतियों का जीवंत चित्रण करती हैं , इन लघुकथाओं में हमारे आसपास का समाज और उसमें मौजूद विसंगतियाँ हैं | उन्होंने कुछ लघुकथाओं के कथ्य को लेकर अपनी असहमति भी दर्ज करवाई और कहा कि इन लघुकथाओं को मैंने एक पाठक ,एक लेखक और एक समीक्षक के रूप में पढ़कर अपनी राय दी है , और हर रचनाकार की अपनी दृष्टि और सृष्टि होती है यह ज़रूरी नहीं कि वह समीक्षक से पूरी तरह सहमत हो |’
इस अवसर पर लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक कांता राय ने स्वागत उद्बोधन देते हुए आयोजन के संदर्भ में अपनी बात रखी |कार्यक्रम का सफल संचालन मुज़फ़्फ़र इक़बाल सिद्दीक़ी ने किया | कार्यक्रम के अंत में रचनाकार डा.उपमा शर्मा ने सभी उपस्थितजनों का आभार ज्ञापित किया | कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी पाठक और लेखक मौजूद थे |
Leave a comment