Category: आलेख
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बघेली अंचल के रचनाकारों में लघुकथा लेखन के प्रति एक नयी चेतना का विकास होगा – डॉ. राम गरीब पाण्डेय ‘विकल’
‘ऐसा ही’ से ‘ऐसा भी’ तक लघुकथाएँ वर्तमान तकनीकी विकास के युग में, विश्वग्राम की परिकल्पना को मूर्त करने और दिनोंदिन उसे पुख्ता करने के लिए दुनिया भर के तमाम देश, अपने-अपने सामर्थ्य भर विकास की इस दौड़ में सहभागिता दर्ज करवा रहे हैं। विकास के नित नूतन कीर्तिमान स्थापित…
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डॉ. विकल का यह लघुकथात्मक कार्य बघेली बोली को भी समृद्ध करेगा – डॉ. अशोक भाटिया
मित्रो, एक ही समय में लघुकथाओं पर संपादित किताबों का बघेली, गढ़वाली व अवधी में आना उत्साहवर्धक है।राम गरीब पाण्डेय ‘विकल’ द्वारा ‘देश विदेश से लघुकथाएं’ नाम से बघेली में अनुवाद व प्रकाशन, डा.कविता भट्ट द्वारा लघुकथा डॉट कॉम में गढ़वाली में अनूदित लघुकथाओं का पुस्तक रूप में प्रकाशन और…
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नवांकुर लेखकों के लिए जरूरी किताब ‘परिंदे पूछते हैं’, डॉ. उमेशचंद्र सिरसवारी
‘इसमें प्रश्नकर्ता ये सभी नवलेखक वृंद हैं, जो लघुकथा लेखन करते हुए अब तक भ्रामक स्थितियों झेल रहे हैं। वे सभी कथानक के चुनाव पर, तो कभी बातों के दोहराव पर उलझन महसूस करते हैं; कभी लघुकथा का ढीलापन उन्हें विचलन देता है, तो वहीं कालखंड दोष बड़ा-सा प्रश्नवाचक चिह्न…
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‘सवाल-दर-सवाल’ से हल हुए कई सवाल : डाॅ बीना, गुरुग्राम
(रमेश बत्तरा के कृतित्त्व पर आधारित अशोक भाटिया द्वारा संपादित पुस्तक) इन दिनों लघुकथा का बिगुल बज रहा है| चहुँ ओर इसका महिमामंडन हो रहा है| पत्र- पत्रिकाओं में भी इसके खूब दर्शन हो रहे हैं , पुस्तकों में छाप छोड़ी जा रही है पर एक समय था जब गद्य-…
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हिंदीतर भारतीय लघुकथाएँ
डा.अशोक भाटिया (इस आलेख में हिंदी के अतिरिक्त पंजाबी की मिन्नी कहानी पर भी टिप्पणी शामिल नहीं की गई, क्योंकि उस पर ‘संरचना’ में पहले ही मेरे दो आलेख आ चुके हैं। ) भारतीय संविधान में मान्यता-प्राप्त बाईस भाषाएँ हैं। इनमें से जिन भाषाओँ में लघुकथा-साहित्य लिखे जाने की जानकारी…
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हरिशंकर परसाई के जन्मशती-वर्ष पर विशेष
अशोक भाटिया भारतीय भाषाओँ के शीर्ष व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का साहित्य स्वतन्त्र भारत के लगभग पांच दशकों के सामाजिक-राजनीतिक यथार्थ का विश्वसनीय और कलात्मक दस्तावेज़ है। 22 अगस्त 1924 को होशंगाबाद (म.प्र.) के जमानी गाँव में एक मध्यवित्त परिवार में जन्मे हरिशंकर परसाई स्कूली छात्र थे जब इनकी माँ चल…
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बचपन के दिन – अशोक भाटिया
मेरा बचपन अम्बाला छावनी में बीता। सन छियासठ में जब पंजाब का तीन राज्यों में विभाजन हुआ तो जिला अम्बाला हरियाणा के हिस्से में आया। तब छोटा-सा शहर था अम्बाला छावनी; इतना छोटा कि इसे क़स्बा कह सकते हैं। (बहुत बड़ा तो अब भी नहीं है )। मेरा बचपन सन…
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लघुकथा में प्रयोग – अशोक भाटिया
आलेख रचना में प्रयोग निरुद्देश्य नहीं किये जाते। उनका उद्देश्य बौद्धिक विलास करना भी नहीं होता, अपितु रचना की शक्ति को उभारना, ताकि पाठक उसे सही परिप्रेक्ष्य में तीव्रता के साथ महसूस कर सके। जैसे कला कला के लिए नहीं, बल्कि जीवन के लिए होती है, इसी प्रकार प्रयोग प्रयोग…
